खोया-मोम धातु कास्टिंग तकनीक

खोया-मोम धातु कास्टिंग तकनीक बेजान धातु को अद्वितीय सुंदरता प्रदान करता है।

Lalit Bhatt
ललित भट्ट

खोया-मोम धातु कास्टिंग (Lost wax metal casting technique) तकनीक एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग हजारों वर्षों से धातुओं से जटिल एवं सुन्दर वस्तुओं को बनाने के लिए किया जाता रहा है। इस तकनीक में पहले वस्तु का एक मोम मॉडल बनाया जाता है। इसे एक सांचे में लपेटा जाता है। फिर मोम को पिघलाकर सांचे से निकल दिया जाता है। खली जगह में पिघली धातु से भर दिया जाता है। इससे मूल मोम मॉडल की प्रतिकृति तैयार हो जाती है। पुरातात्विक साक्ष्य मिले हैं कि 4500 ईसा पूर्व से ही कई प्राचीन सभ्यताओं ने इस तकनीक का उपयोग सुंदर कलाकृतियां बनाने के लिए किया है।  मोहनजोदड़ो की नर्तकी सिंधु घाटी सभ्यता में खोया-मोम धातु कास्टिंग तकनीक का एक उत्कृष्ठ उदहारण है।

Dancing girl. Mohanjodaro, Indus valley civilization
नर्तकी

खोया-मोम धातु कास्टिंग तकनीक के मोम के मॉडल बनाने से लेकर अंतिम धातु की मूर्ति बनाने तक के चरण सूचीबद्ध हैं :

  1. मोम का मॉडल : खोया-मोम धातु कास्टिंग तकनीक में पहला कदम मोम मॉडल बनाना है। इसे हाथ से या छैनी जैसे किसी औजार से या एक कंप्यूटर एडेड डिज़ाइन (CAD) प्रोग्राम और एक 3D प्रिंटर का उपयोग करके किया जा सकता है। मोम मॉडल जितना संभव हो उतना सटीक होना चाहिए। उसमें हर छोटी से छोटी चीजों को मॉडल में उकेरा होना चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि धातु का अंतिम मॉडल मोम के मॉडल की ही प्रतिकृति बनता है।

  2. सांचे का निर्माण: अगला कदम मोम मॉडल के चारों ओर एक साँचा बनाना है। यह विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का उपयोग करके बनाया जाता है, जैसे कि सिलिकॉन रबर, प्लास्टर, या एक सिरेमिक खोल। मोम के मॉडल पर पहले तरल रबर या प्लास्टर की एक परत लगाकर मोल्ड बनाया जाता है, जिससे यह सख्त हो जाता है, और फिर इस प्रक्रिया को कई बार दोहराता है जब तक कि साँचा मजबूत नहीं हो जाता।

  3. मोम को हटाना: एक बार साँचा पूरा हो जाने के बाद, मोम के मॉडल को पिघलाया जाता है, जिससे सांचे के अंदर एक खोखला स्थान बन जाता है। इस चरण की वजह से इस तकनीक को "खोया मोम" कहा जाता है ,क्योंकि इस प्रक्रिया में मोम "खो" जाता है।

  4. पिछली धातु डालना: अगला कदम पिघला हुआ मोम द्वारा छोड़ी गई जगह में पिघला हुआ धातु डालना है। यह विभिन्न प्रकार की धातुओं का उपयोग करके किया जा सकता है, जिनमें कांस्य, चांदी, सोना इत्यादि शामिल हैं। धातु को सांचे में डाला जाता है। जब धातु ठंडा होता है तो यह मोम के मॉडल का आकर ले लेता है।

  5. सांचे को हटाना: एक बार जब धातु ठंडा और जम जाता है, तो मोल्ड को हटाया जा सकता है, और धातु की वस्तु को बाहर निकाल लिया जाता है। इस प्रक्रिया को सावधानी से किया जाता है ताकि धातु की वस्तु को नुकसान नहीं पहुंचे।

  6. फिनिशिंग: अंतिम चरण में धातु की वस्तु को साफ करना है। इसमें सैंडिंग, पॉलिशिंग शामिल हैं ।

खोया-मोम धातु कास्टिंग तकनीक एक जटिल प्रक्रिया है, मगर जिसके परिणाम काफी अच्छे और मन को भाने वाले होते हैं । इस तकनीक का जटिल वस्तुओं के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। चाहे आप एक पेशेवर मूर्तिकार हों या एक शौकिया मेटलवर्कर, खोया-मोम धातु कास्टिंग तकनीक एक ऐसी तकनीक है जिसे आप जरूर पसंद करेंगे।

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